फोटो-जान्ती मेले से पूर्व कुबेर चैक मे आयोजित होते धार्मिक कार्यक्रम ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। पांडुकेश्वर में आयोजित होने वाले एतिहासिक जांती मेले का आगाज। 25 जनवरी को ब्रहम बेला पर होगा मुख्य आयेाजन।
पंाडुकेश्वर मे पौराणिक-धार्मिक मेला जांती मेले का आयेाजन शुरू हुआ। मान्य धार्मिक परंपरानुसार देश मे होने वाले पूर्ण कुंभ व अद्ध कुभं मेले अनुसार प्रति 6वर्षो मे इस मेले का आयेाजन किया जाता है। इससे पूर्व मकर संक्राति से ही पूरे क्षेत्र मे धार्मिक उत्सव का वातावरण रहता है। मेले का मुख्य आयेाजन 25जनवरी को प्रात बेहम बेला पर होगा, जिसमे कैलाश के पश्वा-अवतारी पुरूष द्वारा आग मे तपकर लाल हो चुकी जांती को उठाते हैं। इससे एक दिन पूर्व से पूरे विधि-विधान के साथ लोहे की जांती को अग्नि कुंड मे रोपा जाता है। और पूरी रात यह जाॅति आग मे गर्भ होती है। इस दौरान देवी-देवताओ के जागर भी गाए जाते है।
मेले मे शामिल होने के लिए रविबार को आमंतित्रत किए गए आस-पास के गाॅवो के देवताओ के पश्वा भी मेला स्थल पंर पंहुचके देव भेंट की। इनमे माणा गाॅव के घंन्डियाल देवता, पटडी गाॅव के घंटाकर्ण देवता व भ्यूॅडार गाॅव की नेदा देवी प्रमुख है।
जान्ती मेले से पूर्व मकर संक्राति से ही कुबेर चैक पांडुकेश्वर मे मान्य धार्मिक पंरपराओं के अनुसार देवी-देवताओं के अवतारी पुरूष -पश्वा अवतरित होकर भक्तों को आर्शीबाद दे रहे है।