डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
सीमांत जिले के डीडीहाट तहसील में पहली बार चाय बागान तैयार हो चुके हैं। लॉकडाउन के चलते जहां सारे कार्य ठप हैं, वहीं डीडीहाट के चौबाटी से लेकर ननपापू के गांवों में चाय के बागान तैयार तो हुए ही लोगों को रोजगार भी मिला है। आधा दर्जन गांवों में 51 हेक्टेयर भूमि पर चाय के सुंदर बागान तैयार हैं। लॉकडाउन में 115 परिवारों के लिए चाय की पत्तियां तोड़ना आजीविका का प्रमुख साधन बना हुआ है। पलायन रोकने में चाय उत्पादन सशक्त माध्यम बनने जा रहा है। वहीं बाहर से गांवों में लौट चुके प्रवासियों के रोजगार का प्रमुख साधन भी बन सकता है।
तहसील डीडीहाट की जलवायु चाय उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है। जिसे देखते हुए चाय विकास बोर्ड ने डीडीहाट विकास खंड के चौबाटी, ननपापू भड़गांव, भैस्यूड़ी, खीरी, लेपार्ती का चयन कर ग्रामीणों को इसके लिए प्रोत्साहित किया। छह गांवों के 115 परिवार इसके लिए आगे आए। चाय की नर्सरी बना कर चाय के पौध रोपे गए। इधर लॉकडाउन प्रारंभ हुआ उधर चाय के बागान तैयार हो गए। अप्रैल माह से चाय के बागान से पत्तियां तोड़ने का कार्य प्रारंभ किया गया। लॉकडाउन में स्थानीय ग्रामीण मजदूरों को चाय बागान में रोजगार मिला है। एक लाख पौधों की नर्सरी तैयार क्षेत्र के ननपापू गांव में चाय की नर्सरी तैयार हो रही है। एक लाख पौध तैयार हैं। इस नर्सरी में तीन लाख पौध तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी नर्सरी से चाय बागानों के लिए पौधों की आपूर्ति होगी।
यहां की जलवायु के अनुरूप चाय बागान रोजगार का मुख्य साधन बन सकता है। पूर्व में बेरीनाग के चौकोड़ी में चाय का उत्पादन होता था। प्रदेश सरकार यदि दिशा में कार्य करे तो महानगरों व अन्य शहरों से घर लौटे युवाओं को इससे जोड़ कर रोजगार उपलब्ध करा सकती है। चाय उत्पादन क्षेत्र की आर्थिकी को बदलने में सक्षम है। इससे ग्रामीणों को घर पर ही रोजगार मिल जाता है। यह रोजगार स्थाई है। सरकार इन दिशा में कार्य करे तो पलायन पर रोक लगेगी। चौबाटी क्षेत्र में चाय उत्पादन के अच्छे संकेत मिले हैं। चाय उत्पादन प्रवासियों को रोक पाने में सक्षम है। चौबाटी में तोड़ी गई चाय की पत्तियां चम्पावत चाय विकास बोर्ड कार्यालय को भेजी जा रही हैं। ग्रामीण नरेगा के तहत चाय उत्पादन का कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। सौ दिन का कार्य नरेगा से करने के बाद विभाग से प्रतिदिन 316 की मजदूरी हैं।
डीडीहाट चाय फैक्ट्री खुलने से एक हजार से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा, जबकि दूसरे ग्रामीण भी अप्रत्यक्ष रूप से फैक्ट्री से जुड़कर रोजगार हासिल कर सकेंगे। किसानों की आर्थिकी सुधारने और चाय बागानों को पर्यटन से जोड़ने को टी.टूरिज्म को बढ़ावा देकर क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित किए जाएंगे।